सोमवार, 29 दिसंबर 2008

सचाई जाने बिना कोई निर्णय न ले

माँ की ममता
एक गावं में एक औरत रहती थी जिसकी एक आँख नही थी पास के गाव मैं किसी बड़े घर मैं सफाई का काम करती थी उसका एक लड़का था जो स्कूल में पड़ता था लड़का कभी नही चाहता था की उसकी माँ कभी स्कूल मैं उसे मिलने आए, जब भी उसकी माँ उसे मिलने स्कूल आती तो अपनी माँ को देख लड़के को बहुत गुस्सा आता, लड़का अपनी माँ को कहता है "तू क्यों मुझसे मिलने आती है यहाँ " पर माँ तो माँ ही है चुप चाप सुन कर चली जाती। धीरे-२ समय बिता गया उस लड़के की शादी हो चुकी थी अब वो अलग अपनी पत्नी और २ बच्चो के साथ रहता था वो नही चाहता था की उसकी माँ उसके घर आए। एक दिन उसकी माँ उसके घर आती है तो उसके बच्चे उसे देख कर डर जाते है जब उसके लड़के को पता चलता है तो वो अपनी माँ को कहता है की तू यहाँ क्या करने आई है यहाँ दुबारा कभी मत आना तुझे देख मरे बच्चे कितना डर गये है और लोग क्या-२ कह रहे है, अपनी माँ को अपमानित कर उसे वहाँ से जाने के लिए कहता है, कुछ महीनो बाद लड़के को उसके पुराने वाले स्कूल मैं हो रहे समारोह मैं आमंत्रण मिलता है स्कूल की तरफ़ जाते समय वो सोचता है की अपने पुराने घर को भी देखता चलूँ, जब लड़का वहां जाता है तो उसे पता चलता है की उसकी माँ का स्वर्ग वास हो चुका है, ये सुन कर भी उसकी आँखों से भी अंशु नही आया, वहां खड़े एक बजुर्ग ने उसको एक चिठ्ठी देते हुए बोला की ये तुम्हारी माँ ने मरने से पहले तुम्हारे लिए लिखा था लड़का उस चिठ्ठी को पढता है '' मरे पियारे बेटे मुझे माफ़ करना जो में तेरे घर आई मरी वजह से बच्चे डर गये मैं एसा नही चाहती थी मुझे बहुत खुसी है की तू बहुत बड़ा आदमी बन गया है बेटे मने तुझे एक बात नही बताई! कई साल पहले की बात है तू उस समय बहुत छोटा था जब दुर्घटना मैं तेरी एक आँख चली गई थी मैं नही चाहती थी की लोग तेरा मजाक उडाए और तू पुरी जिन्दगी दुखी होता रहे इस लिए मने अपनी एक आंख तुझे दे दी मैं चाहती थी की मेरा बेटा पुरी दुनिया को अपनी दोनों आँखों से देखे।
तुम्हारी माँ

निष्कर्ष -: मैं इस कहानी से आप को ये बताना चाहता हूँ की कभी किसी सचाई को जाने बिना कोई धारणा नही बनानी चाहिए वरना उस लड़के की तरह पुरी जिन्दगी पक्षताप की आग मैं जलना पड़ेगा